एक ग़म ही तो यार है अपना

एक ग़म ही तो यार है अपना
दिल जो उन पर निसार है अपना,

हम तो कब के ही मर गए यारो
किस को अब इंतिज़ार है अपना,

मेरे ज़ख़्मों को जो कुरेदता है
बस वही एक यार है अपना,

सारी दुनिया तुम्हारी रख लो तुम
सिर्फ़ परवरदिगार है अपना,

हम ने रखा है जीने के क़ाबिल
ज़िंदगी पर उधार है अपना,

तेरे जाने के बाद दिल अब तो
एक उजड़ा दयार है अपना,

होश मंदों में तुम रहे यारो
अहल ए दिल में शुमार है अपना,

मर भी जाऊँ तो उन को क्या मतलब
एक तरफ़ा ही प्यार है अपना..!!

~इरशाद अज़ीज़

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