दिल के बहलाने का सामान न समझा जाए

दिल के बहलाने का सामान न समझा जाए
मुझको अब इतना भी आसान न समझा जाए,

मैं भी दुनिया की तरह जीने का हक़ माँगती हूँ
इसको ग़द्दारी का एलान न समझा जाए,

अब तो बेटे भी चले जाते हैं हो कर रुख़्सत
सिर्फ़ बेटी को ही मेहमान न समझा जाए,

मेरी पहचान को काफ़ी है अगर मेरी शनाख़्त
मुझको फिर क्यूँ मेरी पहचान न समझा जाए,

मैं ने ये कब कहा रूही कि मेरे जीवन में
मेरे साईं को मेरी जान न समझा जाए..!!

~रेहाना रूही

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