तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती है…
तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती हैकहती मरहबा ! सब तितलियाँ पुकारती है, न बोसा …
तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती हैकहती मरहबा ! सब तितलियाँ पुकारती है, न बोसा …
कहे दुनियाँ उसे ऐसे ही बेकार न आयेक़िस्मत का मेरी बन के ख़रीदार न आये, …
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँमिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ, सितम हो कि हो …
लिखना नहीं आता तो मेरी जान पढ़ा करहो जाएगी तेरी मुश्किल आसान पढ़ा कर, पढ़ने …