बसा बसाया शहर अब बंजर लग रहा है…

basa basaya shahar ab banzar lag raha hai

बसा बसाया शहर अब बंजर लग रहा है चारो ओर उदासियो का मंज़र लग रहा है, जाने अंजाने

बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा…

badan pe jiske sharafat ka pairahan dekha

बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा वो आदमी भी यहाँ हमने बदचलन देखा, ख़रीदने को जिसे कम

एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा…

ek din mulq ke har ghar me ujala hoga

एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा हर शख्स यहाँ सबका भला चाहने वाला होगा, इंसानों

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है…

wahi taaz hai wahi takht hai wahi zahar hai

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है ये वही ख़ुदा की ज़मीन है

अज़ब ही मेरे मुल्क की कहानी है…

अज़ब ही मेरे मुल्क

अज़ब ही मेरे मुल्क की कहानी है यहाँ सस्ता खून पर महँगा पानी है, खिले है फूल कागज़

आवाम भूख से देखो निढाल है कि नहीं ?

आवाम भूख से देखो

आवाम भूख से देखो निढाल है कि नहीं ? हर एक चेहरे से ज़ाहिर मलाल है कि नहीं

बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो…

Bazmeshayari_512X512

बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो जो हुक्मराँ बिक जाए वो बकवास है लोगो, किस

चुनाव से पहले मशरूफ़ होते है सारे ही उम्मीदवार…

चुनाव से पहले मशरूफ़

चुनाव से पहले मशरूफ़ होते है सारे ही उम्मीदवार दिन रात मीटिंगे होती है इन सबके प्यादे और

खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम भी रखते है…

Bazmeshayari_512X512

वतन की सर ज़मी से इश्क़ ओ उल्फ़त ही नहीं खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम

चंद सिक्को के एवज़ हर ज़ुर्म के सबूत मिटाने वालो…

चंद सिक्को के एवज़

चंद सिक्को के एवज़ हर ज़ुर्म के सबूत मिटाने वालो इक्तिदार के नशे में धूत, लोगो पे ज़ुल्म