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Motivational Status

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े…

जब दुश्मनों के चार

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े हम भी कफ़न बाँध के सर पर निकल पड़े, जिन …

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आपसे किसने कहा स्वर्णिम शिखर बनकर दिखो…

aapse kisne kaha swrnim shikhar ban kar dikho

आपसे किसने कहा स्वर्णिम शिखर बनकर दिखो शौक दिखने का है तो फिर नींव के अंदर दिखो, चल …

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घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर…

घर जब बना लिया

घर जब बना लिया तेरे दर पर कहे बग़ैर जानेगा अब भी तू न मेरा घर कहे बग़ैर, …

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क्या बताते हैं इशारात तुम्हें क्या मा’लूम…

kya batate hai isharaat tumhe kya malum

क्या बताते हैं इशारात तुम्हें क्या मा’लूम कितने मश्कूक हैं हालात तुम्हें क्या मा’लूम ? ये उलझते हुए …

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ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे…

zindagi se ek din mausam khafa ho jayenge

ज़िन्दगी से एक दिन मौसम खफ़ा हो जाएँगे रंग ए गुल और बू ए गुल दोनों हवा हो …

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कोई नई चोट फिर से खाओ ! उदास लोगो…

koi nayi chot fir se khaao udas logo

कोई नई चोट फिर से खाओ ! उदास लोगो कहा था किसने कि मुस्कुराओ ! उदास लोगो, गुज़र …

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जिनके घरो में आज भी चूल्हा नहीं जला…

khana gar ham unko khilaye to eid hai

जिनके घरो में आज भी चूल्हा नहीं जला खाना गर हम उनको खिलाएँ तो ईद है, पानी नहीं …

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आया ही नहीं कोई बोझ अपना उठाने को…

aaya hi nahi koi bojh apna uthane ko

आया ही नहीं कोई बोझ अपना उठाने को कब तक मैं छुपा रखता इस ख़्वाब ख़ज़ाने को ? …

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सवाद ए शाम न रंग ए सहर को देखते हैं…

naa mili chhanv kahin yun to kai shazar mile

सवाद ए शाम न रंग ए सहर को देखते हैं बस एक सितारा ए वहशत असर को देखते …

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अब वो झोंके कहाँ सबा जैसे आग है शहर की हवा जैसे

ab wo jhonke kahan saba jaise

अब वो झोंके कहाँ सबा जैसे आग है शहर की हवा जैसे, शब सुलगती है दोपहर की तरह …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने