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Miscellaneous

काँटो की चुभन पे फूलो का मज़ा भी…

kaanto ke chubhan pe follo ka maza bhi

काँटो की चुभन पे फूलो का मज़ा भी दिल दर्द के मौसम में रोया भी हँसा भी, आने …

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कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते…

kuch bhi ho wo ab dil se juda ho nahi sakte

कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते हम मुजरिम ए तौहीन ए वफ़ा हो …

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जब ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गई…

jab zindagi sukun se mahrum ho gai

जब ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गई उन की निगाह और भी मासूम हो गई, हालात ने किसी …

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तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा…

tum door ho to pyar ka mausam na ayega

तुम दूर हो तो प्यार का मौसम न आएगा अब के बरस बहार का मौसम न आएगा, चूमूँगा …

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ज़िंदगी का हर नफ़स मम्नून है तदबीर का…

zindagi ka har nafas mamnoon hai tadbir ka

ज़िंदगी का हर नफ़स मम्नून है तदबीर का वाइज़ो धोखा न दो इंसान को तक़दीर का, अपनी सन्नाई …

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गर हक़ चाहते हो तो फिर जंग लड़ो…

gar haq chahte ho to jang lado guhar lagane se kahan nizam badlega

गर हक़ चाहते हो तो फिर जंग लड़ो गुहार लगाने से कहाँ ये निज़ाम बदलेगा, छाँव ढूँढ़ते हो, …

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जाने क्यूँ अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते…

jaane kyun ab log khuli kitab nahi hote

जाने क्यूँ अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते जाने क्यूँ अब मस्त मौला मिजाज़ नहीं होते, पहले …

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मुफ़लिसी में दिन बिताते है यहाँ…

muflisi me din bitate hayan fir bhi sapne ham sajate hai yahan

मुफ़लिसी में दिन बिताते है यहाँ फिर भी सपने हम सजाते है यहाँ, मज़हबी बातें उठा कर लोग …

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झूठी बाते झूठे लोग, सहते रहेंगे सच्चे लोग…

jhuthi baaten jhuthe log sahte rahenge sachche log

झूठी बाते झूठे लोग, सहते रहेंगे सच्चे लोग हरियाली पर बोलेंगे, सावन के सब अँधे लोग, दो कौड़ी …

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न मिली छाँव कहीं, यूँ तो कई शज़र मिले…

naa mili chhanv kahin yun to kai shazar mile

न मिली छाँव कहीं, यूँ तो कई शज़र मिले वीरान ही मिले सफ़र में जो भी शहर मिले, …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने