अश्क ओ खूं घुलते है तब दीदा ए तर बनती है…
अश्क ओ खूं घुलते है तब दीदा ए तर बनती है दास्ताँ इश्क़ में मरने से अमर बनती …
अश्क ओ खूं घुलते है तब दीदा ए तर बनती है दास्ताँ इश्क़ में मरने से अमर बनती …
सभी कहें मेरे गम ख़्वार के अलावा भी कोई तो बात करो यार के अलावा भी, बहुत से …
हर मुलाक़ात में लगते हैं वो बेगाने से फ़ाएदा क्या है भला ऐसों के याराने से, कुछ जो …
तुम हो जब मेरे लिए हैं दो जहाँ मेरे लिए ये ज़मीं मेरे लिए ये आसमाँ मेरे लिए, …
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते हर दर पे जो झुक जाए उसे सर …
मैं दहशतगर्द था मरने पे बेटा बोल सकता है हुकूमत के इशारे पे तो मुर्दा बोल सकता है, …
मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है, …
ये संसद है यहाँ भगवान का भी बस नहीं चलता जहाँ पीतल ही पीतल हो वहाँ पारस नहीं …
अजब दुनिया है नाशायर यहाँ पर सर उठाते हैं जो शायर हैं वो महफ़िल में दरी चादर उठाते …
उनसे मिलिए जो यहाँ फेर बदल वाले हैं हमसे मत बोलिए हम लोग ग़ज़ल वाले हैं, कैसे शफ़्फ़ाफ़ …