हारे हुए नसीब का मयार देख कर…
हारे हुए नसीब का मयार देख कर वो चल पड़ा है इश्क़ का अख़बार देख …
हारे हुए नसीब का मयार देख कर वो चल पड़ा है इश्क़ का अख़बार देख …
बना के भेजा था उस रब ने अपना तर्जुमान तुम्हे छोड़ के सब कुछ फक़त …
अगर चाहते हो तुम सदा मुस्कुराना कभी अपनी माँ का दिल न दुखाना, करो …
चिड़ियाँ होती है बेटियाँ मगर पंख नहीं होते बेटियों के, मायके भी होते है,ससराल भी …
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं सामान सौ बरस के हैं कल की ख़बर …
कुछ इस तरह से इबादत खफ़ा हुई हमसे नमाज़ ए इश्क बहुत कम अदा हुई …
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ हम भी न डूब जाएँ कहीं …
किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है हमें मिलती नहीं जो चीज …
चलो आओ हम एक वायदा करें दिलो में बस अपने मुहब्बत भरे, वो सब काम …
मत पूछो मुसलमान का हाल… मस्ज़िद के लिए सर कटाने को तैयार है लेकिन मस्ज़िद …