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Islamic Status

कोई ज़ब्त दे न जलाल दे…

koi zabt de na jalal de

कोई ज़ब्त दे न जलाल दे मुझे सिर्फ़ इतना कमाल दे, मुझे अपनी राह पे डाल दे कि …

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ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है

zinda hoon jab tak gungunane hai

ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है क्यूँकि गीत तेरे नाम के बड़े ही सुहाने है, है …

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कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने

kitna buland martaba paya

कितना बुलंद मर्तबा पाया हुसैन ने राह ए ख़ुदा में घर को लुटाया हुसैन ने, कैसे बयाँ हो …

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सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे

sach bolne ke taur tarike nahi rahe

सच बोलने के तौर तरीक़े नहीं रहे पत्थर बहुत हैं शहर में शीशे नहीं रहे, वैसे तो हम …

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मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे

mere khuda mujhe taab e nay e nawai de

मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे मैं चुप रहूँ भी तो नग़्मा मेरा सुनाई दे, …

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हर शख्स को अल्लाह की रहमत नहीं…

har shakhs ko allah ki rahmat nahi milti

हर शख्स को अल्लाह की रहमत नहीं मिलती हाँ रिज्क तो मिल जाता है बरक़त नहीं मिलती, किस …

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पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के…

paa sake na sukun jo jite ji wo mar ke kahan payenge

पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के कहाँ पाएँगे शहर के बेचैन परिंदे फिर लौट …

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किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई ऐ मेरे ख़ुदा

kis simt chal padi hai khudaai ae mere khuda

किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई ऐ मेरे ख़ुदा नफ़रत ही दे रही है दिखाई ऐ मेरे ख़ुदा, …

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बहुत कुछ मेहनतों से एक ज़रा…

bahut kuch mehnaton se zara ek izzat kamaai hai

बहुत कुछ मेहनतों से एक ज़रा इज़्ज़त कमाई है अंधेरे झोंपड़े में रौशनी जुगनू से आई है, तसद्दुक़ …

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बेकार जब दुआ है दवा क्या करेगी आज

bekar jab duaa hai dawa kya karegi aaj

बेकार जब दुआ है दवा क्या करेगी आज ऐसे में ज़िंदगी भी वफ़ा क्या करेगी आज ? ये …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने