जो नेकी कर के फिर दरिया में…
जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया से जाता है
Islamic Poetry
जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया से जाता है
लेता हूँ उस का नाम भी आह ओ बुका के साथ कितना हसीन रिश्ता है मेरा ख़ुदा के
रह के मक्कारों में मक्कार हुई है दुनिया मेरे दुश्मन की तरफ़दार हुई है दुनिया, पाक दामन थी
मौत तो एक दिन आनी ही है ज़िन्दगी जो मिली फ़ानी ही है, शख्स वो है अक्लमंद ओ
किस तवक़्क़ो’ पे क्या उठा रखिए ? दिल सलामत नहीं तो क्या रखिए ? लिखिए कुछ और दास्तान
किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले होगा कोई भी जहाँ ज़ात ए बशर से पहले
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो सब से माँगते
یہ اسمِ محمدؐ تو رحمت کا خزانہ ہےاس نورِ مبارک سے روشن یہ زمانہ ہے واللہ محمدؐ سے
हम वक़्त ए मौत को तो हरगिज़ टाल न पाएँगे हम ख़ाली हाथ आए है और ख़ाली हाथ
ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओउठो अब नींद से जागो के अब बेदार हो जाओ,