अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो …
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो …
یہ اسمِ محمدؐ تو رحمت کا خزانہ ہےاس نورِ مبارک سے روشن یہ زمانہ ہے …
हम वक़्त ए मौत को तो हरगिज़ टाल न पाएँगे हम ख़ाली हाथ आए है …
ऐ मेरी क़ौम के लोगो ज़रा होशियार हो जाओउठो अब नींद से जागो के अब …
किसी कमज़ोर की जब भी दुआएँ गूँज उठती है अबाबीलों के लश्कर से फज़ाएँ गूँज …
अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें तन्हाइयो ने छीन ली सारी शरारतें, होंठो के …
जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े हम भी कफ़न बाँध के सर पर …
जिनके घरो में आज भी चूल्हा नहीं जला खाना गर हम उनको खिलाएँ तो ईद …
हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है, रब भी जब …
तुख़्म ए नफ़रत बो रहा है आदमी आदमियत खो रहा है आदमी, ज़िंदगी का नाम …