बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो है नहीं
हम बे घरों का कोई ठिकाना तो है नहीं,
तुम भी हो बीते वक़्त के मानिंद हू ब हू
तुम ने भी याद आना है आना तो है नहीं,
अहद ए वफ़ा से किस लिए ख़ाइफ़ हो मेरी जान
कर लो कि तुम ने अहद निभाना तो है नहीं,
वो जो हमें अज़ीज़ है कैसा है कौन है
क्यूँ पूछते हो हम ने बताना तो है नहीं,
दुनिया हम अहल ए इश्क़ पे क्यूँ फेंकती है जाल
हम ने तेरे फ़रेब में आना तो है नहीं,
वो इश्क़ तो करेगा मगर देख भाल के
फ़ारिस वो तेरे जैसा दिवाना तो है नहीं…!!
~रहमान फ़ारिस