अंज़ाम नहीं मिलता, उन्वान नहीं मिलता
कम इश्क़ के दरिया में तूफ़ान नहीं मिलता,
रोते है लिपट के वो मजबूरियाँ कह कह के
शायद उन्हें हम जैसा नादान नहीं मिलता,
शायद ये वफ़ाओ का मेरी ही सिला है कि
हम जैसा शहर भर में बदनाम नहीं मिलता,
मेरी ये तमन्ना है अब मौत मिले लेकिन
साँसों की ये ज़िद्द उनका पैगाम नहीं मिलता,
मैं भूल कर भी उसे जी लूँ मुश्किल है मगर यारो
ख़ुद को जो दगा दे वो ईमान नहीं मिलता..!!