अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं
क़ज़ा ही इसकी सज़ा है तो कोई बात नहीं,
तू सिर्फ़ मेरी है इस का ग़ुरूर है मुझको
अगर ये वहम मेरा है तो कोई बात नहीं,
मुआ’फ़ करने की आदत नहीं है वैसे तो
अगर ये तीर तेरा है तो कोई बात नहीं,
बिना बदन के तअ’ल्लुक़ बचा नहीं सकते
यही जो रस्ता बचा है तो कोई बात नहीं,
हाँ मेरे बा’द किसी और का न हो जाना
तू आज मुझ से जुदा है तो कोई बात नहीं..!!
~अक्स समस्तीपुरी