अभी तो चाँद निकला है, अभी तो रात बाक़ी है
दिल को दिल से कहनी है, अभी वो बात बाक़ी है,
तुम्हारे वस्ल में कबसे, ज़मीं प्यासी थी इस दिल की
अभी तो अब्र छाए है, अभी बरसात बाक़ी है,
वो बचपन की हसीं बाते, जवानी की खुराफ़ातें
कहाँ वो अब हसीं लम्हे, कहाँ वो बात बाक़ी है,
गुज़र जाएगी ये गम की, जो काली रात छाई है
सहर भी होगी ख़ुशियों की, जो तेरा साथ बाक़ी है,
मेरे दिल की तमन्नाएँ, जो थीं सारी हुई पूरी
अधूरी कोई ख्वाहिश है, न कोई बात बाक़ी है,
फ़साना बीती बातों का, न छेड़ो तुम अभी हमदम
कि देखो हुस्न ए जानां तुम, अभी तो रात बाक़ी है..!!