अब भी कहता हूँ कि तुम्हे घबराना नहीं है…

अब भी कहता हूँ कि तुम्हे घबराना नहीं है
घबरा कर कोई गलत क़दम उठाना नहीं है,

हुनूज़ ज़िन्दा हूँ अभी मैं मरा नहीं हूँ
दुश्मन के आगे सर अपना झुकाना नहीं है,

क्या हुआ ? रुख हवाओं का ख़िलाफ़ है तेरे ?
मगर ना उम्मीदी की तरफ तुमको जाना नहीं है,

ऐ मेरे कौम तुम सब से अज़ीम कौम हो
खौफ़ ए ख़ुदा के सिवा तुमको खौफ़ खाना नहीं है..!!

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women