अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र…

अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र आसान हो जाता
ख़ुशी से उम्र भर जीने का एक सामान हो जाता,

न जा कर क्यूँ जताता है जो जाना था चला जाता
बहुत होता तो ये होता कि मैं हैरान हो जाता,

जो मेरी सिम्त तू दो गाम भी हँस कर चला आता
मैं तेरे और तू मेरे लिए ईमान हो जाता,

ख़ुशी से मुझ पे फिर क्या जाने गुज़र जानी थी हमीद
घड़ी भर को भी तू मुझ पर जो कुर्बान हो जाता..!!

~अबरार हामिद

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