दिल इतना खो गया आराइशों में
तेरी ख़्वाहिश नहीं है ख़्वाहिशों में,
तेरी यादें हैं और आँसू हमारे
चिताएँ जल रही हैं बारिशों में,
हमारी रूह घुट के मर गई है
हमारे जिस्म की गुंजाइशों में,
हम अपने क़त्ल का ज़िम्मा किसे दें
है सारा शहर ही फ़रमाइशों में..!!
~इब्राहीम अली ज़ीशान
वो संगदिल तो फ़क़त देखने से टूट गए
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