दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ

दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ
रौशन रौशन गीत सुनाएँ आ जाओ

गोशे गोशे में तज़ईन-ओ-ज़ेबाई
साफ़ करें हर दिल की मैली अँगनाई

फ़ितरत ने भी मस्ती में ली अंगड़ाई
ख़ुशियों का संगीत सुनाएँ आ जाओ

दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ
रौशन रौशन गीत सुनाएँ आ जाओ

आशाओं की मंज़िल पर सब कॉमन हो
नफ़रत जाए प्यार की ज्योति रौशन हो

प्रेम नगर में चाहे दाव पे जीवन हो
भेद-भाव पे तीर चलाएँ आ जाओ

दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ
रौशन रौशन गीत सुनाएँ आ जाओ

रौशनियों के जाल भी कितने सुंदर हैं
दीपक मालाएँ घर घर का ज़ेवर हैं

फुल-झड़ियों जैसे चेहरों पर तेवर हैं
हर ज़ुल्मत को आज मिटाएँ आ जाओ

दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ
रौशन रौशन गीत सुनाएँ आ जाओ

हार चुके हर बाज़ी अब रावन वाले
लक्ष्मी की पूजा करते हैं धन वाले

अपनी दुनिया हम बेचारे मन वाले
आतिश-बाज़ी चमकाएँ आ जाओ

दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ
रौशन रौशन गीत सुनाएँ आ जाओ

सब के लिए ख़ुश-हाली का ये साल रहे
हर इंसाँ की क़िस्मत में ज़र माल रहे

न कोई अब इस धरती पर कंगाल रहे
हर क़िस्मत पर नूर बनाएँ आ जाओ

दीवाली के दीप जलाएँ आ जाओ
रौशन रौशन गीत सुनाएँ आ जाओ

~अबरार किरतपुरी

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