जल रहे हैं दिए मुंडेरों पर
हो रहा है करम अँधेरों पर
तुम जो बन कर किरन किरन आओ
दाग़-ए-दिल भी हँसें सवेरों पर
मुस्कुराती हुई चली आओ
दिल सुलगता है दाग़ जलते हैं
छनछनाती हुई चली आओ
आरज़ूओं के बाग़ जलते हैं
हुन की देवी हो तुम मिरे घर में
रोज़ दीवाली ग़म-ज़दा घर में
हुन लुटाती हुई चली आओ
आँसुओं के चराग़ जलते हैं
जिस को कहते हैं लोग दीवाली
ऊँचे आदर्श की निशानी है
बाप-दादों के पाक जीवन की
एक अज़्मत-भरी कहानी है
~चरख़ चिन्योटी