इतना सैराब होने वाला था
मैं तह ए आब होने वाला था,
तेज़ उस हुस्न की हरारत थी
जिस्म सीमाब होने वाला था,
एक आमद ग़ज़ल की थी उस पल
एक नया बाब होने वाला था,
फिर से बीमार कर दिया उस ने
मैं शिफ़ायाब होने वाला था,
उस का मिलना भी गाहे गाहे था
मैं भी कमयाब होने वाला था,
छत थी कमज़ोर बारिशों के लिए
फ़र्श तालाब होने वाला था,
एक सफ़ीना वो बन गई आतिर
जब मैं गिर्दाब होने वाला था..!!
~यासीनआतिर