रात के मुँह पर उजाला चाहिए
चोर के घर में भी ताला चाहिए,
ग़म बहुत दिन मुफ़्त की खाता रहा
अब उसे दिल से निकाला चाहिए,
पाँव में जूती न हो तो कुछ नहीं
हाँ मगर एक आध छाला चाहिए,
हाथ फैलाने से कुछ मिलता नहीं
भीख लेने को प्याला चाहिए,
याद उन की यूँ न जाएगी उसे
कुछ बहाना कर के टाला चाहिए,
शायरी माँगे है पूरा आदमी
अब उसे भी मोंछ वाला चाहिए..!!
~मोहम्मद अल्वी
























