झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं,

तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मेरी तरह तेरा दिल बे क़रार है कि नहीं,

वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं,

तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये एतिबार है कि नहीं..!!

~कैफ़ी आज़मी

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