हर्फ़ ए रंजिश पे कोई बात भी हो सकती है
ऍन मुमकिन है, मुलाक़ात भी हो सकती है,
ज़िन्दगी फूल है, ख़ुशबू है, मगर याद रहे
ज़िन्दगी गर्दिश ए हालात भी हो सकती है,
हम ने ये सोच के रखना है क़दम गुलशन में
लाला ओ गुल में तेरी ज़ात भी हो सकती है,
चाल चलते हुए सतरंज की बाज़ी के असूल
भूल जाओगे तो फिर मात भी हो सकती है,
एक तो छत के बिना घर है हमारा मोहसिन
उस पे ये खौफ़ कि बरसात भी हो सकती है..!!
~मोहसिन नकवी