ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल ओ…

ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल ओ क़रार का मौसम
बहार ढूँढ रही है बहार का मौसम,

वो मेरे साथ नहीं हैं तो दिल के सहरा पर
समय बिखेर रहा है बहार का मौसम,

फ़रेब ख़ुद को ना देगा तो और क्या देगा
ना रास आए जिसे एतिबार का मौसम,

तुम्हारे क़ुर्ब की मद्धम सी एक हरारत से
है ढेर राख तले इंतिज़ार का मौसम..!!

~हनीफ़ तरीन

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