वो कौन है जो मुझ पे तअस्सुफ़ नहीं करता
पर मेरा जिगर देख कि मैं उफ़्फ़ नहीं करता,
क्या क़हर है वक़्फ़ा है अभी आने में उसके
और दम मेरा जाने में तवक़्क़ुफ़ नहीं करता,
कुछ और गुमाँ दिल में न गुज़रे तेरे काफ़िर
दम इस लिए मैं सूरा ए यूसुफ़ नहीं करता,
पढ़ता नहीं ख़त ग़ैर मेरा वाँ किसी उनवाँ
जबतक कि वो मज़मूँ में तसर्रुफ़ नहीं करता,
दिल फ़क़्र की दौलत से मेरा इतना ग़नी है
दुनिया के ज़र ओ माल पे मैं तुफ़ नहीं करता,
तासाफ़ करे दिल न मय ए साफ़ से सूफ़ी
कुछ सूद ओ सफ़ा इल्म ए तसव्वुफ़ नहीं करता,
ऐ ज़ौक़ तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासर
आराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता,
~शेख़ इब्राहीम ज़ौक़