हो मुबारक़ तुम्हे तुम्हारी उड़ान पिंजरे में…

हो मुबारक़ तुम्हे तुम्हारी उड़ान पिंजरे में
अता हुए है तुम्हे दो जहाँ पिंजरे में,

है सैरगाह भी और उसमे आब ओ दाना भी
रखा गया है कितना ध्यान पिंजरे में,

यहीं हलाक़ हुआ था परिंदा ख्वाहिश का
तभी तो है ये लहू के निशान पिंजरे में,

फ़लक पे जब भी परिंदों की सफ़ नज़र आये
कर लेना तुम अपनी यादे जवान पिंजरे में,

इसी लिए तुम्हे रटाए गए सबक़ तरह तरह के
कि तुम भूल जाओ खुला आसमान पिंजरे में..!!

Leave a Reply

Receive the latest Update in your inbox