हमेशा साथ रहने की आदत कुछ नहीं होती

हमेशा साथ रहने की आदत कुछ नहीं होती
जो लम्हा मिल गए जी लो, रियाज़त कुछ नहीं होतीं,

जिसे महरूमियाँ मिली हों वही जान सकता है
ज़बानी हौसला, झूठी मुरव्वत कुछ नहीं होती,

कई रिश्तों को जब परखा, नतीजा एक ही निकला
ज़रूरत ही सब कुछ है, मुहब्बत कुछ नहीं होती,

किसी ने छोड़ के जाना हो तो फिर छोड़ ही जाता है
बिछड़ना हो तो फिर सदियों की मुहब्बत कुछ नहीं होती,

ताअल्लुक़ टूट जाए तो सफीने डूब जाते हैं
सब कहने की बातें हैं, हकीक़त कुछ नहीं होती..!!

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