यूँ बेदर्द बन कर ना रहा कीजिए
मेरे मर्ज़ की भी तो कोई दवा कीजिए,
आप मुहब्बत लिए घूमते है अगर
इस दिल के लिए भी दुआ कीजिए,
दर्द दे कर किसी को भूलना ही है
तो यादो में फिर यूँ ना फिरा कीजिए,
यहाँ काँटो से बच कर चले या नहीं
बेवफाओं से बच कर चला कीजिए,
जान ओ दिल से है जो आप ही के लिए
इस कदर तो न उसको छला कीजिए,
मिले मुझको तसल्ली और ख़ुद को सुकूं
अब इतना तो ग़रीब का भला कीजिए..!!