ये मत पूछो कि कैसा आदमी हूँ
करोगे याद, ऐसा आदमी हूँ,
मेरा नाम ओ नसब क्या पूछते हो ?
ज़लील ओ ख़्वार ओ रुस्वा आदमी हूँ,
तआरुफ़ और क्या इस के सिवा हो
कि मैं भी आप जैसा आदमी हूँ,
ज़माने के झमेलों से मुझे क्या
मेरी जाँ! मैं तुम्हारा आदमी हूँ,
चले आया करो मेरी तरफ़ भी
मोहब्बत करने वाला आदमी हूँ,
तवज्जोह में कमी बेशी न जानो
अज़ीज़ो! मैं अकेला आदमी हूँ,
गुज़ारूँ एक जैसा वक़्त कब तक
कोई पत्थर हूँ मैं या आदमी हूँ,
शुऊर आ जाओ मेरे साथ, लेकिन
मैं एक भटका हुआ सा आदमी हूँ..!!
~अनवर शऊर