ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उससे जीत गया हूँ कि मात हो गई है !
मैं अब के साल परिंदों का दिन मनाऊँगा
मेरी क़रीब के जंगल से बात हो गई है,
बिछड़ के न ख़ुश रह सकूँगा सोचा था
तेरी जुदाई ही वजह ए निशात हो गई है,
बदन में एक तरफ़ दिन तुलू मैंने किया
बदन के दूसरे हिस्से में रात हो गई है,
जंगल की तरफ़ चल पड़ा था छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है..!!