उस ने जब मेरी तरफ प्यार से देखा होगा
मेरे बारे में बड़े गौर से सोचा होगा,
सुबह को जिस ने सजाई है हँसी होंठों पर
रात भर उस को किसी गम ने सताया होगा,
कर के वायदा आने का वो नहीं आया होगा
अब नाम बदनाम ज़माने में वफ़ा का होगा,
हँस के हम बात जो कर लेते हैं उन से समर
हाल अपना वो समझ लेते हैं अच्छा होगा,
हर दर्द को ऐ जान मैं अपने सीने में छुपा लूं
काँटे तेरी राहों के मैं पलकों पे सजा लूं,
बिछड़ी है मेरी नींद बिछड़ी हो तुम जब से
जी चाहे तुझे रोज़ ख़्वाबों में ही बुला लूं,
तू पास न आ, बस ज़रा दामन तो बढ़ा दे
अश्को को कहाँ तक मैं अपनी आँखों में संभालूँ ?
ले जाए जाने कहाँ हम को वक़्त का दरिया
इस दिल पे लगे ज़ख्म ज़रा आज तुम को दिखा लूं..!!
















