तुम सोज़ ए तमन्ना क्या जानों
तुम दर्द ए मुहब्बत क्या समझों ?
तुम दिल का तड़पना क्या जानों ?
तुम दूर खड़े तकते ही रहे
और डूबने वाले डूब गए,
साहिल को तुम मंज़िल समझे
तुम लज्ज़त ए दरिया क्या जानों ?
सौर बार अगर तुम रूठ गए
हम तुमको मना ही लेते थे मगर
एक बार अगर हम रूठ गए
तुम हमको मनाना भूल गए,
दुनिया ए रफ़ाक़त में शायद
तुम पहले पहले आये हो
तुम डूबती नब्ज़ें क्या समझो ?
तुम दिल का धड़कना क्या जानो ?