तन्हाइयो में अश्क बहाने से क्या मिला…

तन्हाइयो में अश्क बहाने से क्या मिला
ख़ुद को दीया बना के जलाने से क्या मिला ?

मुझसे बिछड़ के रेत सा वो भी बिखर गया
उस जाने वाले शख्स को जाने से क्या मिला ?

अब भी मेरे वज़ूद में हर साँस में वही
मैं सोचता हूँ उसको भुलाने से क्या मिला ?

तू क्या गया कि दिल मेरा ख़ामोश हो गया
इन धड़कनो के शोर मचाने से क्या मिला ?

अपने ही एक दर्द का चारा न कर सके
सारे जहाँ का दर्द उठाने से क्या मिला ?

जिसके लिए लिखा इसे वो तो न सुन सका
वो गीत महफ़िलो में सुनाने से क्या मिला ?

उनका हर एक हर्फ़ है दिल पर लिखा हुआ
उस दोस्त के खतो को जलाने से क्या मिला ?

सोचो ज़रा कि तुमने ज़माने को क्या दिया ?
क्यों सोचते हो तुमको ज़माने से क्या मिला ??

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