हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही
हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही खोखली तहज़ीब की फ़र्ज़ानगी डसती रही, शोला …
हम से दीवानों को असरी आगही डसती रही खोखली तहज़ीब की फ़र्ज़ानगी डसती रही, शोला …
राहें धुआँ धुआँ हैं सफ़र गर्द गर्द है ये मंज़िल ए मुराद तो बस दर्द …
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा …
कहते हो तुम्हें हस्ब ए तमन्ना नहीं मिलता कम दाम लगाने से तो सौदा नहीं …
लाई है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे महसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी …
ख़ुशी ने मुझको ठुकराया है दर्द ओ गम ने पाला है गुलो ने बे रुखी …
चेहरे की हसी भी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावट सी हो …
ख़ुद को इतना जो हवादार समझ रखा है क्या हमें रेत की दीवार समझ रखा …
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं …
हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है ये दिल ही तो है जो गिरता …