अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए…
अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए बोल ऐ हवा ए शहर किधर …
अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए बोल ऐ हवा ए शहर किधर …
लोग सह लेते थे हँस कर कभी बेज़ारी भी अब तो मश्कूक हुई अपनी मिलन …
कुछ क़दम और मुझे जिस्म को ढोना है यहाँ साथ लाया हूँ उसी को जिसे …
कुछ रोज़ से रोज़ शाम बस यूँ ही ढल जाती है बीती हुई यादो की …
आंधियाँ भी चले और दीया भी जले होगा कैसे भला आसमां के तले ? अब …
हादसे ज़ीस्त की तौक़ीर बढ़ा देते हैं ऐ ग़म ए यार तुझे हम तो दुआ …
हैरतों के सिलसिले सोज़ ए निहाँ तक आ गए हम नज़र तक चाहते थे तुम …
मैंने कहा कि दिल में तो अरमान हैं बहुत उस ने कहा कि आप तो …
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ जन्म दिन है अकेला रो रहा हूँ, किसी …
ठोकरें खा के सँभलना नहीं आता है मुझे चल मेरे साथ कि चलना नहीं आता …