जताए हक़ न कैसे हम भला इक़रार पे…
जताए हक़ न कैसे हम भला इक़रार पे उनके हमें फिर भी नाज़ होता है …
जताए हक़ न कैसे हम भला इक़रार पे उनके हमें फिर भी नाज़ होता है …
जिसने भी मुहब्बत का गीत गया है ज़िन्दगी का लुत्फ़ उसने ही उठाया है, मौसम …
अब मुहब्बत का इरादा बदल जाना भी मुश्किल है उन्हें खोना भी मुश्किल,उन्हें पाना भी …
किस एहतियात से उसने नज़र बचाई है ज़माना अब भी समझता है आशनाई है, मेरे …
काश ! तुम मेरी होती तो क्या गज़ब ज़िन्दगी होती फिर ना ज़िन्दगी में हमारी …
तेरी यादें, तेरी बातें, तेरी ख़ामोशी, तेरा फ़िक्र तेरा ज़िक्र, अब सब कुछ आसान सा …
अंज़ाम नहीं मिलता, उन्वान नहीं मिलता कम इश्क़ के दरिया में तूफ़ान नहीं मिलता, रोते …
किसी दिन तो तू भी मुहब्बत हक़ीक़ी कर के देख कैसे जीते है तेरे बगैर …
तेरे और मेरे बारे में जो मशहूर एक कहानी है वही कहानी अब ज़माने के …
कैसे कहे, क्या कहे इसी कशमकश में रह गए हम अल्फाज़ ढूँढ़ते रहे, वो बात …