सर्दी में दिन सर्द मिला

सर्दी में दिन सर्द मिला
हर मौसम बेदर्द मिला,

ऊँचे लम्बे पेड़ों का
पत्ता पत्ता ज़र्द मिला,

सोचते हैं क्यूँ ज़िंदा हैं
अच्छा ये सर दर्द मिला,

हम रोए तो बात भी थी
क्यूँ रोता हर फ़र्द मिला ?

मिला हमें बस एक ख़ुदा
और वो भी बेदर्द मिला,

अल्वी ख़्वाहिश भी थी बाँझ
जज़्बा भी ना मर्द मिला..!!

~मोहम्मद अल्वी

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