समंदरों में हमारा निशान फैला है

समंदरों में हमारा निशान फैला है
पलट के देख मुए आसमान फैला है,

मुक़ाबला है ख़ुराफ़ात का अँधेरों से
हद ए उलूम के आगे बयान फैला है,

किसी जमाल ए हुनर का कोई निशाँ होता
यज़िदियो का ये ख़ाली मकान फैला है,

जिसे डिबेट बताते हैं मीडिया वाले
वहाँ ग़ुरूर खड़ा है गुमान फैला है,

किसू के बाप का हिंदोस्तान क्या पूछो ?
सबू के बाप का सारा जहान फैला है..!!

~संजय चतुर्वेदी

Leave a Reply