सज सँवर कर रहा करो
अच्छी लगती हो
झुमके, बालियाँ, पाज़ेब पहना करो
अच्छी लगती हो,
मुस्कुराते लब हैं तुम्हारे
ख़ुशबू भरे गुलाब जैसे
इन से हर वक़्त महका करो
अच्छी लगती हो,
कोयल को ज़ेब नहीं देता
यूँ ख़ामोश रहना
तुम कुछ न कुछ कहा करो
अच्छी लगती हो,
जुल्फें हैं तुम्हारी रिमझिम अब्रकी
इन्हें यूँ खोले रखा करो
अच्छी लगती हो,
तुम्हारी क़ुर्बतें हैं मेरे
लिए सुकून ए जाँ जानाँ
मेरे पहलू में बैठा करो
अच्छी लगती हो,
वज़ूद है तुम्हारा जैसा
क़ौस ए क़ुज़हमेरी जाँ !
तुम हर रंग को ओढ़ा करो
अच्छी लगती हो,
माना कि निगाहें झुका लेना
अदब ए महबूब है लेकिन
तुम मेरी आँखों में देखा करो
अच्छी लगती हो,