सदाक़त का जो पैग़म्बर रहा है
वो अब सच बोलने से डर रहा है,
कहानी हो रही है ख़त्म शायद
कोई किरदार मुझ में मर रहा है,
ज़रा सी देर को आँधी रुकी है
परिंदा फिर उड़ानें भर रहा है,
मेरे अहबाब खो जाएँगे एक दिन
मुझे ये वहम सा अक्सर रहा है,
लगी है रौशनी की शर्त शब से
सितारा जुगनुओं से डर रहा है..!!
~सलीम अंसारी
























