सबकी कहानी एक तरफ़ है मेरा क़िस्सा एक तरफ़
एक तरफ़ सैराब हैं सारे और मैं प्यासा एक तरफ़,
एक तरफ़ तुम्हें जल्दी है उसके दिल में घर करने की
एक तरफ़ वो कर देता है रफ़्ता रफ़्ता एक तरफ़,
मेरी मर्ज़ी थी मैं ज़र्रे चुनता या लहरें चुनता
उसने सहरा एक तरफ़ रखा और दरिया एक तरफ़,
मैं ने अब तक जितने भी लोगों में ख़ुद को बाँटा है
बचपन से रखता आया हूँ तेरा हिस्सा एक तरफ़,
जब से उस ने खींचा है खिड़की का पर्दा एक तरफ़
उसका कमरा एक तरफ़ है बाक़ी दुनिया एक तरफ़,
यूँ तो आज भी तेरा दुख दिल दहला देता है लेकिन
तुझसे जुदा होने के बाद का पहला हफ़्ता एक तरफ़..!!
~तहज़ीब हाफ़ी