एक शख़्स बा ज़मीर मेरा यार मुसहफ़ी

ek shakhs ba zamir mera yaar musahafi

एक शख़्स बा ज़मीर मेरा यार मुसहफ़ी मेरी तरह वफ़ा का परस्तार मुसहफ़ी, रहता था कज कुलाह अमीरों

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या

gazalen to kahi hain kuch hum ne un se na kaha ahwal to kya

ग़ज़लें तो कही हैं कुछ हम ने उन से न कहा अहवाल तो क्या कल मिस्ल ए सितारा

मावरा ए जहाँ से आए हैं

maawara e jahan se aaye hain

मावरा ए जहाँ से आए हैं आज हम ख़ुमसिताँ से आए हैं, इस क़दर बे-रुख़ी से बात न

कितना सुकूत है रसन ओ दार की तरफ़

kitna sukut hai rasan o daar kee taraf

कितना सुकूत है रसन ओ दार की तरफ़ आता है कौन जुरअत ए इज़हार की तरफ़, दश्त ए

लोक गीतों का नगर याद आया

lok geeton ka nagar yaad aaya

लोक गीतों का नगर याद आया आज परदेस में घर याद आया, जब चले आए चमन ज़ार से

उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए

us gali ke logon ko munh laga ke pachhtaaye

उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए एक दर्द की ख़ातिर कितने दर्द अपनाए, थक के

ये उजड़े बाग़ वीराने पुराने

ye ujde baag veerane puraane

ये उजड़े बाग़ वीराने पुराने सुनाते हैं कुछ अफ़्साने पुराने, एक आह ए सर्द बन कर रह गए

गुलशन की फ़ज़ा धुआँ धुआँ है

gulshan ki faza dhuaan dhuaan hai

गुलशन की फ़ज़ा धुआँ धुआँ है कहते हैं बहार का समाँ है, बिखरी हुई पत्तियाँ हैं गुल की

जहाँ हैं महबूस अब भी हम वो हरम सराएँ नहीं रहेंगी

jahan hai mahbus ab bhi hum wo haram saraayen nahi rahegi

जहाँ हैं महबूस अब भी हम वो हरम सराएँ नहीं रहेंगी लरज़ते होंटों पे अब हमारे फ़क़त दुआएँ

महताब सिफ़त लोग यहाँ ख़ाक बसर हैं

mahtab sifat log yahan khaaq basar hain

महताब सिफ़त लोग यहाँ ख़ाक बसर हैं हम महव ए तमाशा ए सर ए राह गुज़र हैं, हसरत