हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम …
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी, सुब्ह से शाम …
जो हो एक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता हमेशा एक ही से …
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले …
तू ख़ुश है गर मुझ से जुदा होने पर कोई गिला नहीं फिर तेरे बे …
बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना एक आग सी जज़्बों की दहकाए हुए रहना, छलकाए …
पर्बत तेरे पहलू में अगर खाई नहीं है काहे की बुलंदी जहाँ गहराई नहीं है, …
सीधे साधे लोग थे पहले घर भी सादा होता था कमरे कम होते थे और …
मशवरे पर न कहीं धूप के चलने लग जाएँ आदमी मोम बनें और पिघलने लग …
हर दिन है मुहब्बत का, हर रात मुहब्बत की हम अहल ए मुहब्बत में, हर …
मुझे इल्म है तुम रास्ते से पलट जाओगे फिर तुम्हारे साथ सफ़र की इब्तिदा क्या …