समंदर और साहिल प्यास की ज़िन्दा अलामत है
तुम्हारा मुन्तज़िर हूँ तो हज़ारों घर बनाता हूँवो रस्ते बनते जाते है कुछ इतने दर बनाता हूँ, जो …
तुम्हारा मुन्तज़िर हूँ तो हज़ारों घर बनाता हूँवो रस्ते बनते जाते है कुछ इतने दर बनाता हूँ, जो …
सेहरा में साया तलक ना दे सके मुसाफ़िर को ऐसा शज़र ए बख्त सूख ही जाए तो बेहतर …
तू गज़ल ओढ़ के निकले कि धनक ओट छुपेलोग जिस रूप में देखे तुझे पहचानते है, यार तो …
है आशना भी अज़नबीनफरतो की आड़ में, सब की ज़िन्दगी है रवां दवांख़ुदगर्ज़ियो के मदार में, कोई मंज़िलो …
मैं अक्सर भूल जाता हूँ…. कहाँ ख़ामोश रहना थाकहाँ शिकवा न करना थाकहाँ ज़ुमला न कसना थाकहाँ हरगिज़ …
अजीब लोग थे वो तितलियाँ बनाते थेसमुंदरों के लिए सीपियाँ बनाते थे वही बनाते थे लोहे को तोड़ …
वो जानता ही नहीं है कि मुफ़्लिसी क्या है ?गुज़र रही है जो मुश्किल से ज़िन्दगी क्या है …
जब भी सोचा कभी अपना तो हमारा सोचा क्या मिला और हुआ कितना ख़सारा सोचा ?बाद मुद्दत के …
तुझे इस क़दर है शिकायतेंकभी सुन ले मेरी हिकायते, तुझे गर न कोई मलाल होमैं भी एक तुझसे …
ख़रीद कर जो परिंदे उड़ाए जाते हैंहमारे शहर में कसरत से पाए जाते है, मैं देख आया हूँ …