ये ग़म क्या दिल की आदत है नहीं तो
ये ग़म क्या दिल की आदत है नहीं तो किसी से कुछ शिकायत है नहीं तो, किसी के
ये ग़म क्या दिल की आदत है नहीं तो किसी से कुछ शिकायत है नहीं तो, किसी के
गाहे गाहे बस अब यही हो क्या तुम से मिल कर बहुत ख़ुशी हो क्या ? मिल रही
ज़र्रे ही सही कोह से टकरा तो गए हम दिल ले के सर ए अर्सा ए ग़म आ
न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में चराग़ हम ने जलाए हवा के रस्ते में, किसे लगाए
कौन बताए कौन सुझाए कौन से देस सिधार गए उन का रस्ता तकते तकते नैन हमारे हार गए,
चूर था ज़ख़्मों से दिल ज़ख़्मी जिगर भी हो गया उस को रोते थे कि सूना ये नगर
क्या दौर था फ़ुर्सतों में बस यही काम होना आँखों में सूरत तेरी होंठों पर तेरा नाम होना,
इश्क में जब नफ़ा नुक़सान का हिसाब लगाया जायेगा उस दिन सच्चे दिल टूटेंगे, ख़्वाबों को दफ़नाया जायेगा,
जीवन मुझ से मैं जीवन से शरमाता हूँ मुझ से आगे जाने वालो में आता हूँ, जिन की
फ़ैज़ और फ़ैज़ का ग़म भूलने वाला है कहीं मौत ये तेरा सितम भूलने वाला है कहीं, हम