न नींद और न ख़्वाब से आँख भरनी है

न नींद और न ख़्वाब से आँख भरनी है
कि तुझे देख कर हसरत पूरी करनी है,

किसी दरख्त की हिद्दत में दिन गुज़ारना है
किसी चिराग़ की छाँव में रात करनी है,

वो फूल और किसी शाख पर नहीं खिलता
वो ज़ुल्फ़ सिर्फ़ मेरे हाथों से सँवरनी है,

तमाम ना ख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ
अब समन्दर से अकेले में बात करनी है,

हमारे गाँव का हर फूल अब मरने वाला है
अब इस गली से वो ख़ुशबू नहीं गुज़रनी है..!!

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