न मिलता ग़म तो बर्बादी के अफ़्साने कहाँ जाते
अगर दुनिया चमन होती तो वीराने कहाँ जाते ?
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला
अगर होते सभी अपने तो बेगाने कहाँ जाते ?
दुआएँ दो मोहब्बत हम ने मिट कर तुम को सिखलाई
न जलती शम्अ महफ़िल में तो परवाने कहाँ जाते ?
तुम्हीं ने ग़म की दौलत दी बड़ा एहसान फ़रमाया
ज़माने भर के आगे हाथ फैलाने कहाँ जाते..??
~शकील बदायूनी