मुझपे हैं सैकड़ों इल्ज़ाम मेंरे साथ न चल

मुझपे हैं सैकड़ों इल्ज़ाम मेंरे साथ न चल
तू भी हो जाएगा बदनाम मेंरे साथ न चल,

तू नई सुबह के सूरज की है उजली सी किरन
मैं हूँ एक धूल भरी शाम मेंरे साथ न चल,

अपनी ख़ुशियाँ मेरे आलाम से मंसूब न कर
मुझ से मत माँग मेरा नाम मेरे साथ न चल,

तू भी खो जाएगी टपके हुए आँसू की तरह
देख ऐ गर्दिश ए अय्याम मेरे साथ न चल,

मेरी दीवार को तू कितना सँभालेगा शकील
टूटता रहता हूँ हर गाम मेरे साथ न चल..!!

~शकील आज़मी

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