मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिए,
हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू की शो’बदा कारी से बचिए,
शराफ़त आदमियत दर्द मंदी
बड़े शहरों में बीमारी से बचिए,
ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में बैठें
तकल्लुफ़ की रवा दारी से बचिए,
बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिए..!!
~निदा फ़ाज़ली























